
26 जुलाई को कटिहार में खाकी जनरल डायर की भूमिका में नजर आया। बिजली की मांग को लेकर कटिहार जिला के बारसोई में पुलिस द्वारा जो घटना घटित हुई, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। यह बाढ़ का इलाका है, जहां बिजली की आपूर्ति बाधित रहती है। बिजली विभाग के पदाधिकारियों की मनमानी होती है। एक तो स्मार्ट मीटर बिहार के लोगों के लिए वसूली मीटर बन गया है। आज हम वहाँ गए और मृतक के परिजनों से मिलकर 20-20 हजार और घायलों के परिजनो को 10,000 मदद किया।
वहाँ लोगों ने बताया कि आंदोलन कर रहे लोगों की बस इतनी सी डिमांड थी, कि पदाधिकारी आकर उनसे मिल ले। लेकिन अफसर राज में यह कहाँ संभव है। इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पुलिस ने आते ही गोलीबारी शुरू कर दी थी। जबकि आंदोलन को खत्म करने के लिए पुलिस अक्सर आँसू गैस और वाटर कैनन लेकर आती है। मगर यहाँ पुलिस ने सारे नियम ताक पर रख दिए और गोली कमर से ऊपर मारी। और तो और जो लोग आंदोलन में नहीं थे, उसे भी निशाना बनाया गया। यह तो जलियाँवाला बाग की भी अति है।
इस पर से जिले के DM की संवेदनहीनता की परकाष्ठा नजर आ रही है। डीएम ने इस घटना को लेकर रात में कहा कि जिसने उकसाया उसको चिन्हित कर कार्रवाई होगी। उन्होंने ये नहीं कि मामले की जांच की होगी! जिसने फायरिंग का ऑर्डर दिया, उस पर 302 का मुकदमा हो! हमेशा पदाधिकारियों की मनमानी आम जनता पर होती है। मुझे लगता है कि इस मामले में कुछ बातों को दबाया भी गया है। इसलिए इस मामले में सरकार को यहाँ पदाधिकारियों को सस्पेंड करना था। SDO की भूमिका भी संदिग्ध है। SDO से बार – बार वार्ता के लिए कहा जा रहा था। अगर SDO ने वार्ता कर लिया होता तो यह घटना नहीं घटती।