भारत रंग महोत्सव के तहत थिएटर फेस्टिवल में दूसरे दिन बंगला नाटक आषाढ़स्य प्रथोम दिबोशे का मंचन

पटना में आज से भारत रंग महोत्सव के तहत थिएटर फेस्टिवल के दूसरे दिन आलोक बसु निर्देशित बंगला नाटक आषाढ़स्य प्रथोम दिबोशे नाटक कालिदास रंगालय में मंचन किया गया. इसे थिएटर फैक्ट्री, ढाका, बंगलादेश द्वारा तैयार किया गया है।
नाटक का सारांश इस प्रकार है:

कालिदास को प्रकृति, नदियाँ, पहाडियाँ पसंद हैं और वह मल्लिका से प्यार करते हैं। कालिदास काव्य रचना करते हैं। उनकी रचना की सराहना उज्जयिनी के सम्राट ने की, जिन्होंने उन्हें शाही कवि बनने और महल में रहने की पेशकश की। कालिदास गाँव छोड़ना नहीं चाहते। एक प्रसिद्ध कवि होने के लिए मल्लिका कालिदास से वहां जाने का आग्रह करती है। कालिदास उज्जयिनी गए और प्रसिद्ध कवि बन गए तथा राजकुमारी से विवाह भी किया। कालिदास गाँव नहीं आते लेकिन मल्लिका उनकी प्रतीक्षा करती है। उसे विश्वास था कि एक दिन कालिदास उसके पास गाँव आएंगे और एक महाकाव्य लिखना शुरू करेंगे। कुछ वर्षों के बाद कालिदास मल्लिका के पास वापस आये। कालिदास ने बताया कि यह उज्जयिनी में एक भी पंक्ति नहीं लिख सके उन्होंने जो कुछ भी लिखा वह मल्लिका और गांव की प्रेरणा से ही लिखा है। अचानक कालिदान को पता चलता है कि मल्लिका एक बच्चे की मां बन चुकी है। अब कालिदास को एहसास होता है कि समय बीत चुका है।

इस नाटक में कुल 19 कलाकारों ने भाग लिया। इसके लेखक मोहन प्रकाश हैं।

कल 16 फरवरी को असमिया नाटक नागमण्डला का मंचन संध्या 6:30 बजे होगा। इसके लेखक गिरिश कर्नाड हैं।

इस बार भारत रंग महोत्सव (बीआरएम) अपना 25वां वर्ष मना रहा है। ये महोत्सव 1 फ़रवरी से 21 फ़रवरी तक भारत के 15 शहरों में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें दिल्ली, मुंबई, पुणे, भुज, विजयवाड़ा, जोधपुर, डिब्रूगढ़, भुवनेश्वर, पटना, रामनगर और श्रीनगर आदि शहर शामिल हैं. इस 21 दिवसीय थिएटर फेस्टिवल में 150 से अधिक प्रदर्शन, कार्यशालाएं, चर्चाएं और मास्टरक्लास शामिल हैं। इस वर्ष भारत रंग महोसव की रजत जयंती मनाई जा रही है। इस वर्ष भारंगम की विषयवस्तु “वसुधैव कुटुंबकम्-वंदे भारंगम् है । यह रंगमंच के माध्यम से वैश्विक एकता को बढ़ावा देने, सामाजिक सद्भाव को समृद्धि प्रदान करने के उद्देश्य का प्रतिरूप है । इस प्रदर्शन कला के माध्यम से विविध संस्कृतियों को एक साथ लाते हुए, एक साझा वैश्विक परिवार की भावना विकसित करने का उद्देश्य है।

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