जन विरोधी हैं शराबबंदी कानून का विरोध करने वाले… उमेश सिंह कुशवाहा

न्यूज़ डेस्क –  जद(यू0) के प्रदेश अध्यक्ष  उमेश सिंह कुशवाहा ने एक बयान जारी कर विपक्ष को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने अपने बयान में कहा है कि 1 अप्रैल 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून को लाया गया था तब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी और राजद महागठबंधन का हिस्सेदार था तब राजद और जद (यू0) की सहमति से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई थी लेकिन राजद सरकार से अलग होने के बाद से शराबबंदी कानून पर अनाप-शनाप बयानबाजी करता रहा है।

विधानमंडल के दोनों सदनों में पक्ष और विपक्ष की सहमति के बाद कानून बनाया गया और सर्वसम्मति से बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू किया गया था, ऐसे में विपक्ष को इसपर सवाल उठाने का कोई अधिकार नही है। प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव से मेरा सवाल है कि उनको इस पर अपना पक्ष स्पष्ट रखना चाहिए लेकिन इस सवाल पर तेजस्वी यादव मौन धारण किए हुए हैं। जिससे लगता है कि तेजस्वी यादव सच्चाई से आंख चुरा रहे हैं। यदि विरोध ही करना था तो तेजस्वी और उनकी पार्टी को उसी समय विरोध करना चाहिए था। उस समय तेजस्वी यादव बिहार में डिप्टी सीएम के पद पर विराजमान थे लेकिन उस समय तेजस्वी यादव सरकार का साथ दिया और बिहार में शराबबंदी कानून को लागू किया गया। मेरा मानना है कि अपने माता-पिता की तरह प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी सत्ता के लोभी हैं और कुर्सी की चाहत में तेजस्वी यादव शराबबंदी कानून का समर्थन किया था और पुनः कुर्सी के लिए ही शराबबंदी कानून का विरोध कर रहे हैं । जग जाहिर है कि जन आकांक्षा को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून को जनहित में लागू किया और इस कानून को जब धरातल पर उतारने के लिए लगातार प्रयास चल रहा है तो विपक्षी नेताओं के द्वारा इसे गलत बताया जा रहा है जबकि बिहार के प्रबुद्ध लोगों, महिलाओं और युवाओं समेत समाज का सभी वर्ग बिहार में लागू की गई शराब बंदी कानून का समर्थन कर रहा है और सरकार उसी के बल पर बिहार में शराबबंदी कानून को सशक्त बनाने में लगी है ।

 


बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने से जनता को बड़ी राहत मिली। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जनता के लिए ही शराबबंदी कानून को लेकर अपने फैसले पर अटल हैं। आंकड़े गवाह हैं कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू होने के बाद सड़क दुर्घटनाओं में भारी कमी आई और इससे लाखों लोगों के जीवन को बचाने में सफलता मिली है । वहीं शराबबंदी कानून से बिहार की हजारों हजार महिलाएं जो प्रताड़ना झेल रही थी उन्हें भी राहत मिली। उनके घर के पुरुष सदस्य के द्वारा शराब में पैसे गावां देने से हजारों हजार घर आर्थिक तंगी में चले गए थे लेकिन शराब बंदी कानून से वैसे हजारों हजार लोगों के घर में खुशियां लौट आई हैं और उनका जीवन अब खुशहाली से गुजर रहा है। इतना ही नहीं शराबबंदी कानून से आपराधिक मामलों में भी भारी कमी आई है और इससे जनता को राहत मिली है और अपराधियों पर नकेल कसने में प्रशासन को सफलता मिली है। इस बात से सभी अवगत हैं कि पूर्व की लालू राबड़ी सरकार में जब शराब बंदी कानून नहीं थी तो किस तरह से सड़कों पर शराब पीकर हंगामा किया जाता था और घरों से महिलाओं का निकलना मुश्किल था लेकिन जब बिहार में शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू किया गया, ऐसे मामलों में काफी कमी आयी है। वहीं दूसरी तरफ जनहित में लागू की गई शराबबंदी कानून का मखौल उड़ाने में विपक्ष के लोग लगे हैं । बिहार में शराब माफिया पर नकेल कसने के लिए प्रशासन लगातार कड़ी कार्रवाई की रही है। जिससे विपक्षी दलों के नेता बौखलाए हुए हैं। इससे साफ हो गया है कि विपक्षी दलों के नेता जनहित विरोधी है और इसी कारण शराबबंदी कानून का विरोध किया जा रहा है जबकि सरकार जन हितैषी है इसी कारण समाज के सभी वर्गों का सहयोग लेकर मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून को लागू किया है ।


मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने इसी के तहत बिहार में समाज सुधार अभियान कार्यक्रम चलाया और इसके जरिए लोगों को सामाजिक बुराई से दूर रहने की अपील की गई और जन जागरूकता अभियान चलाया गया है इसका साफ अर्थ यह है कि सरकार जनहित के साथ है जबकि विपक्ष जनहित विरोधी है वरना शराबबंदी कानून को विपक्ष के द्वारा गलत नहीं बताया जाता । यही कारण है कि विपक्षी दलों के नेता जनता से दूर होते जा रहे हैं और जनता माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार पर भरोसा कर चल रही है और यही वजह है कि मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार बिहार में चैथी बार सरकार बनाने में सफल हुए और आगे आने वाला जो चुनाव है उसमें भी हमें पूरी सफलता मिलेगी ऐसा मेरा विश्वास है।

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