
बिहार विधानसभा के सत्रहवीं बिहार विधान सभा का पंचदश सत्र सह अंतिम सत्र यानी मानसून सत्र का समापन हो गया जिसमे शुरू से अंत तक सभी कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ती गई ।यहाँ तक की सत्र का अवसान भी असहज रहा। इस सत्र कि समाप्ति के साथ ही अब सभी दल बिहार विधानसभा चुनाव में जाएंगे। बिहार विधानसभा तथा विधान परिषद सचिवालय ने अंतिम सत्र को यादगार बनाने की तैयारी की थी। लेकिन सोमवार से शुरू हुए मानसून सत्र का आगाज और अंजाम दोनों ही हंगामे की भेंट चढ़ गया।
मतदाता पुनरीक्षण के सवाल पर विपक्ष ने पांचों दिन अपने तेवर तल्ख रखे और उनके लगातार प्रदर्शन, नारेबाजी तथा हंगामे से दोनों सदनों में न तो प्रश्नोत्तरकाल चल सका और न ही अन्य कोई सत्र सुचारू रूप से संचालित हो सका ।इतना ही सत्तापक्ष भी इस हंगामे में पूरी तरह से शामिल दिखा, उसने तीखी टीका-टिप्पणी कर विपक्ष को नाराजगी के सैकड़ों मौके दिए। हालांकि सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही अपने-अपने मकसद में कामयाब रहा। सरकार ने जहां अपने तमाम तय विधायी कार्य निपटाए वहीं विपक्ष ने एकजुटता के साथ वोटर सत्यापन का विरोध किया।
ये सत्र इस लिए भी याद किया जायगा जिसमे शुरू से अंत तक विपक्ष रोजाना काले कपड़ों में आए सत्र के अंतिम दिन भी विपक्षी सदस्यों ने सदन की कार्यवाही आरंभ होने से पहले ही क्रमशः विधानसभा तथा विधान परिषद परिसर में प्रदर्शन किया। हाथों में पोस्टर लिए विपक्षी सदस्य मतदाता सत्यापन का विरोध कर रहे थे। विधानसभा की पहली पाली शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। सभाध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने कहा कि आज अंतिम सत्र का अंतिम दिन है, आज तो सदन चलने दीजिए।अपील के बावजूद हंगामा जारी रहा।
इस बिच सत्र के समाप्ति पर विधान सभा अध्यक्ष ने अपने सम्बोधन में लोगों की आँखे नम कर दी |